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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्,
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
हेल्थरिलेशनशिपट्रैवलफ़ूडपैरेंटिंगफैशनहोम टिप्स
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने get more info के समान पुण्य मिलता है।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः